गोंदिया. महाराष्ट्र के गोंदिया स्थित कचारगढ़ गुफा में आदिवासी गोंड समाज का महाकुंभ चल रहा है। इस गुफा को आदिवासी गोंड समाज का उद्गम स्थल कहा जाता है, लेकिन यह जगह आज गुमनामी में है। जानिए कचारगढ़ गुफा से जुड़ी बातें…
– कचारगढ़ एशिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक गुफा है।
– यह गुफा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर बेहद खतरनाक माने जाने वाले नक्सलग्रस इलाके में है।
– यह गुफा 518 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।
– गुफा की ऊंचाई 94 मीटर होकर 25 मीटर का गुफा का द्वार है।
– नक्सली इलाके में होने के कारण ये गुफा गुमनामी में है।
हुई थी गोंड धर्म की स्थापना…
गोंडी धर्म की स्थापना पारीकोपार लिंगो ने 5000 वर्ष पूर्व की थी। आदिवासी गोंड के धर्म गुरु पहांदी पारीकोपार लिंगो ने इस स्थल से धर्म का प्रचार शुरू किया। इसलिए इस गुफा को पहांदी पारी कोपार लिंगो कचारगढ़ गुफा कहा जाता है।
छोटे-छोटे राज्यों में बसा गोंड राज…
इसी गुफा में धर्मगुरु पारीकोपार लिंगों ने निवास कर 12 अनुयायी को तथा 750 गोंड समाज के प्रचारों को धर्म की दीक्षा देकर प्रचार-प्रसार करने का मंत्र दिया। बाद में गोंड राजाओं ने अपने छोटे-छोटे राज्यों की स्थापना कर राज पद्धति को 4 विभाग में बांट लिया। जिसमें येरगुट्टाकोर, उम्मोगुट्टा कोर, सहीमालगुट्टा कोर तथा अफोकागुट्टा कोर का समावेश है। येरगुट्टा कोर के समूंमेडीकोट इस गणराज्य में करीतुला नाम का एक कोसोडुम नाम के पुत्र ने जन्म लिया। जिसे गण प्रमुख माना गया।
- 23 Dec
- 2022